भारतीय विद्या भवन
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ध्येय | आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः हमारे लिए सभी ओर से कल्याणकारी विचार आयें। (ऋग्वेद) १-८९-१) |
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प्रकार | निजी |
स्थापित | ७ नवम्बर १९३८ |
स्थान | जयपुर, मुम्बई भारत |
जालस्थल | http://www.bhavans.info |
भारतीय विद्या भवन भारत का एक शैक्षिक न्यास (ट्रस्ट) है। इसकी स्थापना कन्हैयालाल मुंशी ने 7 नवम्बर 1938 को महात्मा गांधी की प्रेरणा से की थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा राजगोपालाचारी जैसी महान विभूतियों के सक्रिय योगदान से विद्या भवन गांधी के आदर्शों पर चलते हुए आगे बढ़ता रहा। भारतीय विद्या भवन का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम या व्यवसाय आधारित शिक्षा भर ही नहीं है, बल्कि यहां संस्कृति, कला, योग और वैदिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा ही मुख्य ध्येय है। संस्था ने भारत की संस्कृति का बाहर के देशों में भी प्रचार किया है।
सम्प्रति इसके ११७ केन्द्र भारत में और ७ विदेशों में हैं। इसके द्वारा 355 संस्थाएँ संचालित हैं। भारतीय विद्या भवन को सन् २००२ में भारत सरकार द्वारा गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस न्यास द्वारा सैकड़ों प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन विद्यालयों को भारतीय विद्या मन्दिर के नाम से जाना जाता है। ये विद्यालय इस मामले में अन्य विद्यालयों से भिन्न है कि इनमें छात्रों को आधुनिक एवं वैश्विक शिक्षा एवं संस्कार प्रदान करने के साथ-साथ भारत की जड़ों से जुडे रहने वाली शिक्षा भी दी जाती है। सन १९३८ में इसकी स्थापना गांधीजी की प्रेरणा से श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने की थी।
इस समय इस न्यास का काम इसके भारत स्थित ११७ केन्द्रों, ७ विदेश स्थित केन्द्रों एवं ३३५ संस्थाओं के माध्यम से चल रहा है। इस समय भारत में इसके लगभग अस्सी तथा विदेशों में लगभग २५ उच्च-माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं
भवन के दिल्ली केन्द्र की स्थापना वर्ष १९५० में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने की थी। आज कुल ४.८४ एकड़ भूमि में स्थित इसके परिसर में कई संस्थाएँ संचालित हैं जहां विभिन्न विभागों में विद्यार्थियों को शैक्षिक, सांस्कृतिक और नैतिक शिक्षा भी दी जाती है।
भारतीय विद्या भवन के ११७ केंद्रों से कई शैक्षिक आन्दोलन चलाए गए। इसमें केन्द्र के विदेशों में स्थापित आठ केन्द्र भी शामिल रहे। भारतीय विद्या भवन ने देश के साथ यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, कनाडा, पुर्तगाल, साउथ अफ्रीका, कुवैत, मैक्सिको और आस्ट्रेलिया में भी अपनी पहचान दर्ज कराई। भवन के २८० वैध केन्द्रों के अलावा यहां से सम्बद्ध बड़ी संख्या में कॉलेज भी खुले।
भारतीय विद्या अध्ययन एवं अनुसन्धान केन्द्र
[संपादित करें]भारतीय विद्या अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र में आठ विभागों में भाषा (संस्कृत, पालि, प्राकृत और अपभ्रंश), स्थापत्य, कला, संगीत, नृत्य, पुरातन भारतीय इतिहास, आयुर्वेद, तंत्र और ज्योतिष की शिक्षा दी जाती है। केद्र में अनुसंधानकर्ताओं की मदद से इन्हीं विषयों पर नए शोध के लिए प्ररित किया जाता है।
फिल्म तथा टीवी अध्ययन
[संपादित करें]फिल्म एवं टीवी अध्ययन के क्षेत्र में भारतीय विद्या भवन की वर्षों पुरानी धमक है। [1]यहां मीडिया मैनेजमेंट, रेडियो एंड टीवी जर्नलिज्म के अलावा टेलिविजन डाइरेक्शन, टीवी प्रोडक्शन, कम्प्यूटर प्रैक्टिस, टीवी एक्टिंग, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, कैमरा एंड लाइटिंग और फोटोग्राफी आदि से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम कराए जाते हैं।
पुस्तक भारती
[संपादित करें]भारतीय विद्या भवन का प्रकाशन विभाग पुस्तक भारती खासा प्रसिद्ध है। देश भर में इसके ३७५ केन्द्र हैं। इसका मुख्य उद्देश्य ऐसी पुस्तकें प्रकाशित करना है जिनमें प्राचीन संस्कृति को सहेजते हुए आधुनिक शिक्षा दी जाए। अपनी स्थापना के ७५ वर्षो में भवन की ओर से १८०० पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकीं हैं। शिक्षा, कला-संस्कृति और साहित्य की २९ लाख विभिन्न पुस्तकें प्रकाशित करके भवन ने अपना इतिहास रचा है। भवन द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित की जाने वाली रामायण और महाभारत की ११ लाख पुस्तकें प्रति वर्ष मांग में रहती हैं। इस तरह देखा जाए तो पुस्तकों के प्रकाशन में इतिहास रचा जा चुका है। यहां भवन के जर्नल्स के अलावा बाल साहित्य, कला, संस्कृति, साहित्य की किताबों के अलावा भागवत, गीता, आदि की मांग रहती। इसके अलावा, गांधी साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं।
ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र
[संपादित करें]भवन द्वारा संचालित ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र विश्व का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता है। संस्थान के निदेशक प्रो. के. एम. राव और कर्नल दीपक कपूर सहित ज्योतिष के क्षेत्र के कई ऐसे नाम हैं जो संस्थान से जुड़े हैं। यहां केवल भारत ही नहीं, विदेशों से भी विद्यार्थी ज्योतिष सीखने आते हैं।
भारतीय विद्या भवन एक शैक्षिक संस्था होने के साथ चैरिटेबल ट्रस्ट भी है, इसलिए भवन द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों की फीस बहुत अधिक नहीं है। यहां विभिन्न पाठय़क्रमों का शुल्क सामान्य परिवार के विद्यार्थियों की पहुंच में है।
पूर्व छात्र
[संपादित करें]भारतीय विद्या भवन से शिक्षा प्राप्त लोग हर क्षेत्र में हैं। इनमें से फिल्मों में कलाकार आशीष विद्यार्थी, टीवी कलाकार हर्ष छाया, मैग्सेसे विजेता समाजैसेवी अरुणा रॉय, पत्रकारिता के क्षेत्र में विनोद शर्मा, देवांग मेहता, पूर्व केंद्रीय मंत्री के.एम. चंद्रशेखर आदि नाम शामिल हैं।
संस्थान से जुड़े नाम
[संपादित करें]यहां फैकल्टी में जहां श्रीराम ग्रुप के एम. दामोदरन, मृणाल पांडे, उमा वासुदेव, एच.के. दुआ, प्रेम शंकर झा, एस. एल. शंखधर, जय शुक्ल, आर.एस. पाठक जैसे नाम हैं। वहीं सस्थान से जुड़े लोगों में भारत के पूर्व चीफ जस्टिस आर. एस. पाठक, पं. जवाहर लाल नेहरू की बहन कमला हत्ती के पति जयशंकर लाल हत्ती (पूर्व गवर्नर पंजाब), सुरिंदर सैनी से लेकर प्रिंस चार्ल्स, दलाईलामा जैसे नाम भी जुड़े हैं।
सम्मान
[संपादित करें]सभी क्षेत्रों में समग्र रूप से अग्रणी रहने के कारण भारतीय विद्या भवन के खाते में कई सम्मान आए हैं। भवन को 'राष्ट्रीय महत्व का संस्थान' होने का गौरव तो प्राप्त है ही, साथ ही भारत सरकार की ओर से साम्प्रदायिक सौहार्द पुरस्कार, राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, और इन सबसे उच्च गांधी शान्ति पुरस्कार भी मिल चुका है।
परास्नातक शिक्षा
[संपादित करें]सरदार पटेल कॉलेज ऑफ कम्युनिकेशन एंड मैनेजमेंट की ओर से कई परास्नातक प्रोग्राम चलाए जाते हैं। यह कॉलेज वर्ष १९६७ में भारतीय विद्या भवन ने मुम्बई के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन एंड मैनेजमेन्ट के साथ शुरू किया। शैक्षिक डिग्री के अलावा यहां प्रोफेशनल स्तर पर भी पढ़ाई होती है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- भारतीय विद्या (इण्डोलोजी)
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
- गुजरात विद्यापीठ
- भारत भवन, भोपाल
- भारत कला भवन, वाराणसी
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "मीडिया में प्रैक्टिकल एजुकेशन का महारथी है, भारतीय विद्या भवन". मूल से 4 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 अक्तूबर 2018.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Bharatiya Vidya Bhavan official website
- भारतीय विद्या भवन 75 साल का सुनहरा इतिहास[मृत कड़ियाँ]
- नवनीत (भारतीय विद्या भवन की हिन्दी पत्रिका)
- Amrita Bharati website
- PM Manmohan Singh's remarks on visit to Bharatiya Vidya Bhavan in 2006
- Bill Gates makes personal donation to Bharatiya Vidya Bhavan's computer initiative
- Bharatiya Vidya Bhavan to start scholarship scheme for students
- Visit London: The Bhavan Centre - Institute Of Indian Arts and Culture
- BVBPS BHEL Ramachandrapuram's Official Website